महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पखवाड़े पर आहूत सिंह गर्जना रैली के क्या है मायने ?
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महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पखवाड़े पर आहूत सिंह गर्जना रैली के क्या है मायने ?

महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पखवाड़े पर आहूत सिंह गर्जना रैली के क्या है मायने ?

महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पखवाड़े पर आहूत सिंह गर्जना रैली के क्या है मायने ?

देश के विभिन्न प्रदेशों से पटना आ रहे हैं क्षत्रिय और सर्वसमाज के बड़े नेता

पटना (बिहार) : एक तरफ आनंद मोहन की रिहाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है, तो दूसरी तरफ आगामी 29 जनवरी 2022 को बिहार की राजधानी पटना में सिंह गर्जना रैली का आयोजन किया जा रहा है। पटना के मिलर हाईस्कूल में इस रैली को आयोजित करने की तैयारी चल रही है। इस को लेकर हमने रैली के संयोजक पूर्व सांसद आनंद मोहन के बड़े बेटे शिवहर से आरजेडी विधायक चेतन आनंद से मोबाइल पर खास बातचीत की। चेतन आनंद ने कहा कि हम अपने पिता की रिहाई के लिए माननीय कोर्ट भी जा रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी अदालत जनता की अदालत होती है। वे अपने संयोजन में पटना के मिलर हाई स्कूल में आगामी 29 जनवरी को "सिंह गर्जना रैली" का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसमें 5 से 10 लाख लोगों के पहुँचने की पूरी संभावना है। इसके लिए वे अपनी माँ पूर्व सांसद लवली आनंद के साथ विभिन्य प्रदेशों के राजनेताओं और सामाजिक संगठनों के बड़े नेताओं को रैली में शामिल होने का आमंत्रण दे रहे हैं। चेतन आनंद ने बताया कि अभी तक, सामाजिक संगठन के बड़े नेताओं  में, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, योगेंद्र सिंह कटार सहित संगठन के अन्य वरीय नेताओं, श्री राजपूत करणी सेना के प्रमुख महिपाल सिंह मकराना, लोकेंद्र सिंह कालवी, करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरज पाल सिंह अम्मू सहित महाराजा महेंद्र सिंह, राजस्थान के नेता प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, यूपी के दमदार नेता रघुराज प्रताप सिंह, शंकर सिंह बाघेला, शरद पवार, महेश पाटिल, शिवपाल यादव,सहित कई दिग्गज नेताओं को आमंत्रण दे चुके हैं। महाराष्ट्र के कद्दावर क्षत्रिय नेता ठाकुर अर्जुन सिंह, यूपी के राकेश सिंह रघुवंशी, शेर सिंह जीवनपुर, इसके अलावे बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और कई अन्य नेताओं को निमंत्रित किया जा चुका है। कई और बड़े नेताओं को आमंत्रित करने की तैयारी चल रही है।  बातचीत के दौरान चेतन आनंद से हमने पूछा कि "सिंह गर्जना रैली" नाम से तो लगता है कि यह कार्यक्रम राजपूत समाज का है। चेतन आनंद ने कहा कि हम क्षत्रिय, यानि राजपूत समाज से आते हैं। हमारे समाज का प्यार और सहानुभूति तो हमारे साथ है ही लेकिन पापा सर्वसमाज के सर्वमान्य नेता माने जाते हैं। हम लोग समाज के सभी वर्ग, जाति, पंथ, सम्प्रदाय और धर्म के लोगों को साथ लेकर चलते हैं। सिंह गर्जना रैली का मतलब है कि अन्याय, झूठ, फरेब और तानाशाही के खिलाफ, जो भी सिंह गर्जना कर सकते हैं, वे सभी इस रैली के हमारे साथी और अभिभावक हैं। चेतन आनंद ने कहा कि पापा की चिंता करने वाले हमारे साथी और अभिभावक सहित सच को साथ देने वाले सारे सम्मानित लोग, इस रैली के सहभागी और गवाह होंगे। आगे, प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर बड़ी कोर कमिटी बनाई जा रही है। इस रैली से एक ही आवाज गूँजेगी "चप्पा-चप्पा डोल रहा है, आनंद-आनंद बोल रहा है। इस रैली से बिहार सरकार को पता चल जाएगा कि एक निर्दोष क्रांतिवीर और महानायक की राजनीति और स्वाभिमान का कभी भी अवसान नहीं होता है। लाखों की भीड़, किसी अपराधी और हत्यारे के लिए इकट्ठी नहीं होती है। "एक ही संकल्प और एक ही लड़ाई, अतिशीघ्र हो आनंद मोहन की रिहाई" और एक ही संकल्प और एक ही नारा, जल्द हमारे बीच हो आनंद हमारा" जैसे नारों से रैली में गर्जना होती रहेगी। हमने चेतन से यह भी पूछा कि राजपूत संगठन के बड़े-बड़े नेता, राजपूत के कई बड़े-बड़े राजनेता, इस रैली में शामिल हो रहे हैं। आखिर यह सामाजिक रैली है, या फिर राजनीतिक रैली ? यह सवाल हमने चेतना आनंद से किया। इसका जबाब देते हुए, चेतन आनंद ने कहा कि यह पूरी तरह से सामाजिक, यानि सर्वसमाज की रैली है लेकिन पापा राजनेता रहे हैं और राजनीति ने ही उनके जीवन को निगला है, तो यह रैली राजनीति से अछूती नहीं रहेगी। यह पूरी तरह से सर्वसमाज की रैली है लेकिन इस रैली में राजनीतिक उफान भी रहेगा। हमारी समझ से, कुल मिला कर यह रैली, शक्ति प्रदर्शन, सामाजिक और राजनीति की कॉकटेल रैली होगी। दीगर बात है कि यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इस रैली की कितनी व्यापकता होगी और नीतीश कुमार पर, इस रैली का कितना प्रभाव पड़ता है ? कुछ भी हो, इस सिंह गर्जना रैली ने बिहार सरकार की चिंता, काफी बढ़ा दी है।
मुकेश कुमार सिंह